00:23.1
00:35.3
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
00:35.4
00:47.1
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार
00:47.2
00:53.2
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
00:53.3
00:58.5
राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
00:58.6
01:04.1
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
01:04.2
01:10.3
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
01:10.4
01:16.3
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
01:16.4
01:21.6
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
01:21.7
01:27.2
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥७॥
01:27.3
01:33.2
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
01:33.3
01:39.1
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
01:39.2
01:44.8
भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
01:44.9
01:49.7
लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
01:49.8
01:56.0
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
01:56.1
02:02.1
सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
02:02.2
02:07.5
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
02:07.6
02:13.5
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
02:13.6
02:18.4
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
02:18.5
02:24.0
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
02:24.1
02:29.5
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
02:29.6
02:35.9
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
02:36.0
02:40.8
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
02:40.9
02:47.2
राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
02:47.3
02:52.8
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
02:52.9
02:58.0
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
02:58.1
03:03.4
भूत पिशाच निकट नहि आवै महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
03:03.5
03:09.0
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
03:09.1
03:14.8
संकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
03:14.9
03:20.0
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
03:20.1
03:25.2
और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
03:25.3
03:31.0
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
03:31.1
03:36.9
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
03:37.0
03:42.0
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
03:42.1
03:47.4
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
03:47.5
03:53.3
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
03:53.4
03:58.6
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
03:58.7
04:04.2
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
04:04.3
04:09.9
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
04:10.0
04:15.6
जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
04:15.7
04:21.2
जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
04:21.3
04:26.3
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
04:26.4
04:31.6
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
04:31.7
04:42.6
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥