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Vrindavan - भोलेनाथ गोपी बन गए। यह दर्शन ब्रह्मांड में भी नहीं है Gopeshwar mahadev Vrindavan Vlog
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Biography of Gopeshwar Mahadev ☺️ भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली कहे जाने वाले वृंदावन में महादेव गोपी के रूप में विराजमान हैं। यहां उनका प्रतिदिन गोपी के रूप में ही शृंगार होता है। उन्हें नथ सहित 16 शृंगार निवेदित किया जाता है। शिव के इस गोपी स्वरूप के दर्शन के लिए ब्रज ही नहीं दूरदराज से भी भक्त आते हैं। वृंदावन में तो उन्हें कोतवाल की संज्ञा दी जाती है। महाशिवरात्रि पर गोपेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण के महारास के दर्शनों की लालसा में भोले नाथ ने वृंदावन में गोपी रूप धारण कर लिया था। शिव का यह दुर्लभ स्वरूप वृंदावन के अलावा किसी और स्थान पर नहीं मिलता है। इसलिए धारण किया था गोपी रूप श्रीमद्भागवत में उल्लेख है कि जब रास करने की अभिलाषा से श्रीकृष्ण ने वेणु वादन आरंभ किया तो उसके स्वर को सुन भोलेनाथ भी प्रभु के रास दर्शन की अभिलाषा में वृंदावन आ पहुंचे। सखियों ने उन्हें रोकते हुए कहा यहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। रास में प्रवेश का अधिकार केवल गोपियों को हैं। यह सुनकर भोलेनाथ ने तत्काल गोपी वेश धारण किया और बन गए गोपेश्वर महादेव। पौराणिक मान्यता है कि श्रीकृष्ण की इस पावन लीला के बाद उनके प्रपौत्र वज्रनाभ ने इन्हें खोजकर वंशीवट के समीप स्थापित किया। तभी से गोपेश्वर महादेव यहां भक्तों को दर्शन लाभ दे रहे हैं। वृंदावन शोध संस्थान के शोध एवं प्रकाशन अधिकारी डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि चाचा हितवृंदावनदास ने इसका उल्लेख अपने पद नाम विदित गोपेश्वर जिनकौ, ते वृंदा कानन कुतवार में भी किया है। . ENGLISH Biography of Gopeshwar Mahadev ☺️☺️ Mahadev is seated in the form of a gopi in Vrindavan, which is called the Leela place of Lord Krishna. Here he is adorned every day in the form of a gopi. He is offered 16 adornments including Nath. Devotees come not only from Braj but also from far and wide to see this gopi form of Shiva. In Vrindavan, he is given the name of Kotwal. The Gopeshwar Mahadev Temple attracts huge crowds of devotees on Mahashivratri. It is said that Bhole Nath had assumed the form of a gopi in Vrindavan in the longing for the darshan of Shri Krishna's Maharas. This rare form of Shiva is not found in any other place other than Vrindavan. That's why he had assumed the form of a gopi. It is mentioned in Shrimad Bhagwat that when Shri Krishna started playing Venu with the desire to perform Raas, then listening to his voice, Bholenath also came to Vrindavan in the desire to see the Rasa of the Lord. The sakhis stopped them and said that the entry of men is prohibited here. Only the gopis have the right to enter the Raas. Hearing this, Bholenath immediately disguised himself as a Gopi and became Gopeshwar Mahadev. Mythological belief is that after this holy leela of Shri Krishna, his great-grandson Vajranabh discovered them and established them near Vanshivat. Since then, Gopeshwar Mahadev is giving darshan benefits to the devotees here. Research and Publication Officer of Vrindavan Research Institute, Dr. Rajesh Sharma told that uncle Hitavrindavandas has also mentioned this in his post name Vidit Gopeshwar Jinkau, Te Vrinda Kanan Kutwar. . . . background music credit - SBM - https://youtu.be/vhW0y23_oYo . . . . Thanks for watching ☺️🙏💙 . my - contact - 8192921615 https://www.vrindavanguide.com/ Vrindavan guide contact - 9837127949 . . #gopeshwar #mahadev #vrindavan #vrindavanmarg
YouTube url:
https://youtu.be/hY4Ceiw5LWQ
Created:
2. 3. 2022 18:15:31